Monika garg

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लेखनी कहानी -12-Apr-2022 शोर्ट स्टोरी लेखन # तू ही दुर्गा ,तू ही काली

शिखा और गीता भाग भाग के कालेज की बस की ओर जा रही थी शिखाअपने आप को कोस रही थी "क्या यार मै हमेशा लेट हो जाती हूं दादी के लाड़ खत्म ही नही होते ।घर से निकलते निकलते भी दस बार रोकें गी "लाली स्वेटर पहना,खाना खा लिया ,पानी की बोतल ली।बस यही सब चलता रहता है दादी का।"
गीता बोली ,"तू लकी है जो तुझे ऐसा परिवार मिला है । तुम्हारी दादी तुम्हारी चिंता करती है तभी टोकती है तुम्हें।"

"ले दादी के लाड़ प्यार ने ही आज भी बस छुटवा दी।अब फिर उस गंदे से मुहल्ले की गली मे से जाना पड़ेगा क्योंकि बस तो घुमकर जाती है और हम शार्ट कट से बस से पहले पहुंच जाएं गे।"

शिखा कभी गयी नही थी उस मुहल्ले की गली से पर उसने गीता से सुन रखा था कि वहां बहुत से आवारा लड़के बैठे रहते है और वो आती जाती लड़कियों को छेड़ते है।
गीता बहुत डरी हुई थी वह बोली,"शिखा चल ना हम आटो से चलते है तू अब उस गली से जाएगी?"

शिखा बोली,"क्यूं नही ।मै तो इसी गली से जाऊं गी। क्यों तुझे डर लगता है क्या ?"

गीता को शिखा के साथ जाने मे थोड़ा होंसला मिला और वह बोली,"नही नही ऐसी कोई बात नही है।"
दोनों सहेलियां उस बदनाम गली मे निकलने लगी।शिखा अपनी मस्ती से जा रही थी तभी किसी ने फब्ती कसी"आय हाय जानेमन कहां चली?"
शिखा को बड़ा गुस्सा आया उसने पलट कर कहा,"क्यों तुम्हें नही पता । तुम्हारी मां मर गयी है उसकी मातमपुर्सी के लिए जा रहे है।"
उस लड़के को इस जवाब की उम्मीद नही थी।वह तिलमिला गया उसने सीटी बजाई आसपास की गली से निकल कर दो तीन लड़के और आ गये।एक ने गीता का दुपट्टा जोर से खींचा जिससे वह जमीन पर गिर पड़ी और उसका दुपट्टा उतर कर जमीन पर गिर गया।

गीता जोर जोर से रोने लगी ।शिखा ने जब ये देखा तो उसका मुंह लाल हो गया उसने गीता का दुपट्टा ओर उसे जोर से खींच कर उपर उठाया ।ये देखकर वे लड़के अपनी जीत पर ठहाका लगा कर हंस पडे।शिखा एक बार फिर नीचे झुकी पर इस बार उसके हाथ मे पत्थर थे उसने उन्हें गीता को देकर कहा ,"बांध इन्हें अपने दुपट्टे से और बन जा दुर्गा ।बन जा काली।तू ऐसे अबला बनी रहेगी तो यू ही बेइज्जत होती रहे गी।गीता ने पत्थर के टुकड़ों को दुपट्टे से बांधा और दुपट्टा खींचने वाले लड़के पर ताबड़तोड़ बरस पड़ी।उन लड़कों को इस तरह के आक्रमण का बिल्कुल भी भान नही था वे सारे लड़के वहां से नौ दो ग्यारह हो गये।
शोर सुनकर आसपास के घरों से निकल कर औरतें और लड़कियां बाहर आयी और उनकी बहादुरी पर ताली बजाने लगी।वे दोनों इन समाजिक राक्षसों को सबक सीखा कर दुर्गा और काली की तरह अपने गंतव्य पथ की ओर बढ़ चली।

जोनर # प्रेरक 

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8 Comments

Abhinav ji

28-Apr-2022 09:45 PM

Nice👍

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Seema Priyadarshini sahay

28-Apr-2022 08:57 PM

बहुत सुंदर संदेश देती कहानी

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Farida

27-Apr-2022 09:09 PM

🤗🤗

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